राधा सिंह के राज में प्यासा चितरंगी: पानी के लिए तरस रहे चितरंगी विधानसभा के आदिवासी

  • राधा सिंह के राज में प्यासा चितरंगी: सिंगरौली के आदिवासी पानी को तरस रहे 
सिंगरौली: सिंगरौली जिले के चितरंगी विधानसभा क्षेत्र में बसे धर्मदेवा टोला के आदिवासी परिवार प्यास की मार झेल रहे हैं। यह वही क्षेत्र है, जहाँ से पंचायत राज्यमंत्री राधा सिंह चुनकर आईं, मगर उनके राज में उनके अपने लोग साफ पानी की एक एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। सरकार की नल जल योजना के बड़े-बड़े दावे यहाँ कागजों पर ही सिमट गए हैं। राधा सिंह ने अपने क्षेत्र के लिए वादे तो खूब किए, लेकिन आज उनके विधानसभा क्षेत्र के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
धर्मदेवा टोला, नंदमनिया गाँव, सिंगरौली का एक छोटा सा कोना, जहाँ हर दिन की शुरुआत पानी की तलाश के साथ होती है। धूल भरी पगडंडियों पर नन्हे बच्चे, माँ-बाप और बुजुर्ग, मटके और बाल्टियाँ थामे एक झरने की ओर चलते हैं। ये झरना, जो कभी गाँव की जान था, अब गंदे, मैले पानी का आखिरी ठिकाना है। पानी इतना गंदा कि उसे पीना तो दूर, देखकर ही जी घबराए। मगर यही पानी सैकड़ों आदिवासी परिवारों की प्यास बुझाने का एकमात्र रास्ता है। अब तो ये झरना भी सूखने के कगार पर है, और गाँव वालों के दिल में डर समा गया है
अगर ये सूख गया, तो हमारा क्या होगा?
रामकली, 42 साल की एक माँ, अपनी लाचारी बयाँ करते हुए कहती हैं, “इस पानी से बच्चों को पेट दर्द और उल्टियाँ हो रही हैं। मगर और रास्ता ही कहाँ है?” उनकी आँखों में दर्द के साथ एक सवाल तैरता है—क्या हमें कभी साफ पानी नसीब होगा? गाँव के लोग 2-3 किलोमीटर पैदल चलकर इस गंदे पानी को लाने को मजबूर हैं। इंसान और जानवर, दोनों इसी पानी के सहारे जिंदगी काट रहे हैं। गर्मी बढ़ने के साथ झरना और सिकुड़ रहा है, और गाँव वालों की उम्मीदें भी।
हैरानी की बात ये है कि ये त्रासदी चितरंगी विधानसभा क्षेत्र की है, जहाँ से पंचायत राज्यमंत्री राधा सिंह चुनकर आई हैं। उनके अपने इलाके में लोग साफ पानी को तरस रहे हैं। नल जल योजना, जिसके तहत हर घर में साफ पानी पहुँचाने के वादे किए गए, यहाँ सिर्फ कागजों पर सिमटकर रह गई है। गाँव के बुजुर्ग श्यामलाल गुस्से में कहते हैं, “राधा सिंह जी मंत्री हैं, फिर भी हमें गंदा पानी पीना पड़ रहा है।
वोट तो दिए, मगर बदले में मिला क्या? बस वादे और वादे!
पानी की ये किल्लत सिर्फ प्यास का मसला नहीं, बल्कि जिंदगी का सवाल है। बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, खेत बंजर हो रहे हैं, और जानवरों की साँसें भी टूटने की कगार पर हैं। अगर ये झरना पूरी तरह सूख गया, तो इन परिवारों का गुजारा कैसे होगा? धर्मदेवा टोला की ये कहानी उन लाखों लोगों की पुकार है, जो विकास के वादों के बीच प्यासे रहने को मजबूर हैं। सवाल ये है—क्या राधा सिंह अपने क्षेत्र की इस पुकार को सुनेंगी? क्या इनके आँगन में कभी साफ पानी का नल बहेगा?
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Author: Intelligent Guru

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