- भारत के खगोलविदों ने एनजीसी 3785 आकाशगंगा की ज्वारीय पूंछनुमा आकृति के अंत में एक नई अति-विसरित आकाशगंगा का निर्माण पाया है।
नई दिल्ली, भारत के खगोलविदों ने एनजीसी 3785 आकाशगंगा की ज्वारीय पूंछनुमा आकृति के अंत में एक नई अति-विसरित आकाशगंगा का निर्माण पाया है। यह आकाशगंगा सिंह तारामंडल में पृथ्वी से लगभग 430 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इस खोज के मुताबिक, एनजीसी 3785 की ज्वारीय पूंछ 1.27 मिलियन प्रकाश वर्ष तक फैली हुई है, जो अब तक खोजी गई सबसे लंबी ज्वारीय पूंछनुमा आकृति है।
इस असाधारण खोज को भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) और उनके सहयोगियों ने किया है। इस प्रक्रिया के दौरान, जब दो आकाशगंगाएं एक-दूसरे के निकट संपर्क में आती हैं, तो गुरुत्वाकर्षण बलों के कारण सामग्री एक-दूसरे से खींची जाती है, जो ऐसी ज्वारीय पूंछों का निर्माण करती हैं।
इस विशेष ज्वारीय पूंछ के सिरे पर एक नवजात अल्ट्रा-डिफ्यूज आकाशगंगा का निर्माण हो रहा है, जो एक महत्वपूर्ण खोज है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह निर्माण एनजीसी 3785 और एक पड़ोसी आकाशगंगा के बीच गुरुत्वाकर्षण संपर्क द्वारा प्रेरित है। यह खोज आकाशगंगाओं के निर्माण और उनके पारस्परिक प्रभाव को समझने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
यह शोध “एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स लेटर्स” पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, और इसने आकाशगंगा के निर्माण के नए पहलुओं को उजागर किया है।
