नहीं थम रहा UGC मसौदा विवाद, 28 फरवरी तक बढ़ी समयसीमा

  • यूजीसी ने मसौदा विनियम 2025 पर प्रतिक्रिया देने की समय सीमा को बढ़ाकर 28 फरवरी कर दिया है।
  • विपक्ष के विरोध के बीच यह कदम हितधारकों से अधिक प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए उठाया गया है।

नई दिल्ली ,यूजीसी के मसौदा नियमों पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मसौदा विनियम 2025 पर प्रतिक्रिया देने की समय सीमा बढ़ाकर 28 फरवरी कर दी है। पहले यह समय सीमा 5 फरवरी थी।

यूजीसी के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब उम्मीदवारों को विभिन्न क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री होने के बावजूद यूजीसी-नेट उत्तीर्ण करके उच्च शिक्षा संस्थानों में संकाय पदों के लिए अर्हता प्राप्त होगी। इसके अलावा, कुलपतियों के चयन के तरीके में भी बदलाव किए गए हैं, जिसमें चांसलरों को ज्यादा शक्तियां दी जाएंगी।

वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं को आड़े हाथों लिया है। प्रधान ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है कि कुछ राजनीतिक नेता, जिनमें विपक्ष के नेता भी शामिल हैं, शिक्षा सुधारों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये नेता प्रगतिशील शिक्षा सुधारों को काल्पनिक खतरों के रूप में पेश कर अपने पुराने राजनीतिक विचारों को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं

शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि यूजीसी के मसौदे का उद्देश्य शिक्षा के दायरे को फैलाना है, न कि उसे संकुचित करना। उन्होंने कहा कि यह मसौदा शैक्षिक संस्थानों को कमजोर करने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें मजबूत करने के लिए है। धर्मेंद्र प्रधान ने विरोध करने वाले नेताओं को सुझाव दिया कि वे राजनीति करने से पहले मसौदे को समझने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि यह विरोध सिर्फ छोटे राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया जा रहा है।

दरअसल आज दिल्ली के जंतर मंतर पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और डीएमके के नेताओं ने यूजीसी के मसौदा नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान राहुल गांधी ने यूजीसी के मसौदे के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की और सरकार की नीतियों की आलोचना की। जिसके बाद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने X  पर पोस्ट कर उन्हें मसौदे को समझने का सुझाव दिया।

यूजीसी के नए मसौदे 6 राज्यों ने आपत्ति जताई है। कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों ने इस मसौदे को मानने से साफ इनकार कर दिया है। इन राज्यों का कहना है कि यह नए दिशा-निर्देश उनके अधिकारों और स्वायत्तता के खिलाफ हैं।

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