- उज्जैन सिंहस्थ 2028: भव्य तैयारियाँ, किसानों की जमीन पर बवाल
उज्जैन, मध्य प्रदेश का धार्मिक हृदय, 2028 में होने वाले सिंहस्थ मेले की तैयारियों में जुटा है। यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी मध्य प्रदेश के लिए गौरव का क्षण होगा। लेकिन इन तैयारियों के बीच जमीन अधिग्रहण का मुद्दा विवाद की आग में घी डाल रहा है। मेले के लिए किसानों की उपजाऊ जमीन को स्थायी रूप से अधिग्रहित करने की योजना ने स्थानीय समुदाय को आक्रोशित कर दिया है।
किसानों का कहना है कि उनकी जमीन उनकी आजीविका का आधार है, और इसे बिना उचित मुआवजे के छीना जा रहा है। कई गांवों में धरने और प्रदर्शन देखने को मिले हैं, और यह मुद्दा विधानसभा में भी गूँजा। एक बीजेपी विधायक को इस मामले में नोटिस जारी किया गया, जिसने विवाद को राजनीतिक रंग दे दिया। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि किसानों को न केवल मुआवजा दिया जाएगा, बल्कि उनके लिए वैकल्पिक आजीविका की व्यवस्था भी की जाएगी। लेकिन यह वादा अभी कागजों तक ही सीमित दिख रहा है।
सिंहस्थ मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, और इसके लिए बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी है। सड़कें, आवास, जलापूर्ति और सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की योजना है। लेकिन स्थानीय लोग चाहते हैं कि यह विकास उनकी कीमत पर न हो। उज्जैन, जो महाकालेश्वर मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है, इस मेले के जरिए वैश्विक मंच पर चमकेगा। लेकिन क्या यह चमक किसानों के आँसुओं की कीमत पर होगी?
यह विवाद न केवल उज्जैन, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में विकास और स्थानीय हितों के बीच संतुलन की जरूरत को उजागर करता है। प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि वह किसानों के साथ सुलह करे और मेले की तैयारियाँ समय पर पूरी करे। क्या सरकार और किसानों के बीच समझौता हो पाएगा, या यह विवाद मेले की चमक को फीका कर देगा?
