- सिंगरौली में ‘दीनबंधु मॉडल’ बायोगैस संयंत्र: महिलाओं को धुएं से राहत, पर्यावरण को फायदा
सिंगरौली, मध्य प्रदेश: सिंगरौली जिले में पर्यावरण को बचाने और ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। जिला प्रशासन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 125 ‘दीनबंधु मॉडल’ बायोगैस संयंत्र स्थापित किए हैं। ये संयंत्र पिपरा, गोदवाली, बाधौरा और कार्सुअलाल जैसे गांवों में स्व-सहायता समूहों और ग्रामीण परिवारों के सहयोग से लगाए गए हैं। इस पहल ने न सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा दिया है, बल्कि महिलाओं को रसोई में लकड़ी के धुएं से होने वाली परेशानियों से भी मुक्ति दिलाई है।
जिला पंचायत के सीईओ गजेन्द्र सिंह नागेश के मुताबिक, ‘दीनबंधु मॉडल’ बायोगैस संयंत्र अपनी कम लागत और ग्रामीण जरूरतों के अनुकूल डिजाइन के लिए जाना जाता है। ये संयंत्र गोबर और जैविक कचरे से गैस बनाते हैं, जिससे रसोई गैस की जरूरत पूरी होती है। साथ ही, इससे निकलने वाली स्लरी खेतों में जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल हो रही है, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ रही है। इससे सैकड़ों परिवारों को आर्थिक फायदा हुआ है और पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता घटी है।
यह परियोजना स्वच्छ भारत मिशन और हरित ऊर्जा अभियान का हिस्सा है। यह जलवायु परिवर्तन से निपटने और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में भी योगदान दे रही है। मध्य प्रदेश सरकार की इस पहल को अन्य राज्यों के लिए मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, भारत में बायोगैस संयंत्र ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा का एक व्यवहारिक समाधान हैं, जो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक लाभ भी देते हैं।
सिंगरौली की यह पहल न सिर्फ पर्यावरण हितैषी है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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