कर्नाटक हाई कोर्ट में आज जाति जनगणना पर सुनवाई: सिद्धारमैया सरकार से जवाब की उम्मीद
बेंगलुरु, कर्नाटक हाई कोर्ट आज जाति जनगणना रिपोर्ट (Caste Census Report) से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रहा है। कोर्ट ने सिद्धारमैया सरकार (Siddaramaiah Government) को इस सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण (Socio-Economic Survey) से संबंधित अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब विपक्ष ने आरोप लगाया कि कांथराज आयोग की मूल रिपोर्ट गायब हो गई है। बीजेपी (BJP) ने कांग्रेस सरकार पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया है।
यह सर्वेक्षण, जो 2014-15 में शुरू हुआ था, कर्नाटक के विभिन्न जातियों और समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करता है। हाल ही में 11 अप्रैल 2025 को राज्य मंत्रिमंडल ने इस रिपोर्ट को स्वीकार किया, लेकिन 17 अप्रैल को हुई कैबिनेट बैठक में इसे सार्वजनिक करने पर सहमति नहीं बन सकी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह रिपोर्ट सामाजिक न्याय (Social Justice) और आरक्षण नीतियों (Reservation Policies) को नई दिशा दे सकती है, लेकिन देरी से सवाल उठ रहे हैं।
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या यह रिपोर्ट पूरी तरह तैयार है और इसे सार्वजनिक करने में क्या चुनौतियां हैं। प्रभावशाली लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों ने इस सर्वेक्षण को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए नए सिरे से सर्वे की मांग की है, जिसने मामले को और जटिल बना दिया है। बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर सिद्धारमैया सरकार पर हमला बोला है और इसे सामाजिक समरसता के लिए खतरा बताया है।
मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) की अगुवाई वाली खंडपीठ इस मामले को गंभीरता से ले रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट का फैसला कर्नाटक की राजनीति (Karnataka Politics) और सामाजिक ढांचे पर लंबे समय तक असर डाल सकता है। सोशल मीडिया (Social Media) पर #CasteCensus और #KarnatakaHighCourt ट्रेंड कर रहे हैं, जो इस मुद्दे पर जनता की गहरी रुचि को दर्शाता है।
आज की सुनवाई में सरकार का जवाब और कोर्ट का रुख इस मामले में अगला कदम तय करेगा। यह मामला न केवल कर्नाटक बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी जाति आधारित नीतियों पर बहस को तेज कर सकता है।

Author: Intelligent Guru
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