बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस को कट्टरपंथियों की धमकी: ‘भागने के लिए 5 मिनट भी नहीं मिलेगा समय

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बांग्लादेश:  बांग्लादेश में हाल के महीनों में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल गहराता जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के सत्ता से हटने के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार अब कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर है। इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टियों ने यूनुस को खुली धमकी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो ‘उन्हें भागने के लिए 5 मिनट का समय भी नहीं मिलेगा।’ यह धमकी महिला मामलों के सुधार आयोग की सिफारिशों के खिलाफ आई है, जिसे कट्टरपंथी इस्लाम विरोधी मान रहे हैं।

 

मोहम्मद यूनुस, जिन्हें ग्रामीण बैंक और गरीबों के लिए सूक्ष्म ऋण (माइक्रोफाइनेंस) की अवधारणा के लिए विश्व स्तर पर सम्मानित किया गया, अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख बने। उनका उद्देश्य देश में स्थिरता लाना और निष्पक्ष चुनाव कराना था। हालांकि, उनकी सरकार को शुरू से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कट्टरपंथी संगठनों का दबाव, सेना की नाराजगी और आर्थिक संकट ने यूनुस की राह मुश्किल कर दी है।
हाल ही में महिला मामलों के सुधार आयोग ने कुछ सिफारिशें पेश कीं, जिनमें महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और सामाजिक सुधारों पर जोर दिया गया। इन सिफारिशों को इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश जैसे कट्टरपंथी संगठनों ने इस्लाम के खिलाफ बताकर विरोध शुरू कर दिया। संगठन के एक प्रमुख नेता मुफ्ती सैयद रजाउल करीम ने कथित तौर पर कहा, “यूनुस को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा, वरना परिणाम भयावह होंगे।” इस बयान ने देश में तनाव और बढ़ा दिया है।
इस बीच, सोशल मीडिया और कुछ न्यूज़ पोर्टलों पर यह खबर भी उछली कि यूनुस के नोबेल शांति पुरस्कार को वापस लेने की मांग उठ रही है। प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने नोबेल समिति को पत्र लिखकर दावा किया कि यूनुस ने शांति के लिए कोई ठोस काम नहीं किया और उनकी नीतियां देश में अशांति पैदा कर रही हैं। हालांकि, यह मांग कितनी गंभीर है, इस पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बांग्लादेश की सेना भी यूनुस सरकार से नाराज बताई जा रही है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो वह हस्तक्षेप कर सकती है। देश में आर्थिक संकट भी गहरा रहा है, जिसके चलते आम जनता का असंतोष बढ़ रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने बांग्लादेश के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या मोहम्मद यूनुस इस संकट से देश को निकाल पाएंगे, या कट्टरपंथी ताकतें हावी हो जाएंगी? यह समय ही बताएगा। फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी बांग्लादेश के हालात पर नजर रखे हुए है।
नोट: यह लेख विभिन्न समाचार स्रोतों और सार्वजनिक जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है।
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Author: Intelligent Guru

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