- इसरो 29 जनवरी को अपना 100वां प्रक्षेपण करेगा, जिसमें जीएसएलवी-एफ15 द्वारा एक नेविगेशन उपग्रह लॉन्च किया जाएगा।
- इस मिशन को इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने ऐतिहासिक और भारतीयों के लिए गर्व का क्षण बताया।
नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 29 जनवरी को अपना 100वां प्रक्षेपण करने जा रहा है। इस मिशन में जीएसएलवी-एफ15 द्वारा दूसरी पीढ़ी के नेविगेशन उपग्रह एनवीएस यूरो 2 को लॉन्च किया जाएगा, जो एक स्वदेशी बहुउद्देशीय एटॉमिक क्लॉक है। इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने इसे संगठन के लिए ऐतिहासिक मील का पत्थर और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बताया।
डॉ. नारायणन ने इस अवसर पर इसरो की लंबी यात्रा को याद किया। उन्होंने कहा कि, 1979 में भारत ने पहला पीएसएलवी रॉकेट लॉन्च किया था। शुरू में कुछ असफलताएँ आईं, लेकिन 1980 में पीएसएलवी 3 का सफल परीक्षण हुआ और उसके बाद से हम निरंतर प्रगति करते गए। हमने श्री हरिकोटा के एक प्रक्षेपण केन्द्र से देशभर में तीन प्रक्षेपण केन्द्रों तक एक लंबा सफर तय किया है।
इस मिशन से इसरो की तकनीकी ताकत और स्वदेशी अंतरिक्ष मिशनों में सफलता की कहानी और भी मजबूत होगी। डॉ. नारायणन ने कहा कि 62 साल पहले जब इसरो की शुरुआत हुई थी, तब रॉकेट को साइकिल से ले जाया जाता था और उपग्रह बैलगाड़ी के माध्यम से प्रक्षिप्त किए जाते थे। उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण को पूरे देश के लिए गर्व का अवसर बताते हुए कहा कि, हर भारतीय को इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए।
