- पहलगाम हमला: भारत का कड़ा जवाब, पाकिस्तान पर वैश्विक नजर
नई दिल्ली: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बाइसारन घास के मैदान में हुए आतंकी हमले में 27 लोग मारे गए, जिनमें 2 विदेशी पर्यटक (नेपाल और यूएई से) और 3 सैन्य अधिकारी शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े संगठन, ने ली। भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ा और तत्काल सख्त कदम उठाए।
पहलगाम का शांत पर्यटक स्थल 22 अप्रैल 2025 को खून से लाल हो गया, जब आतंकियों ने बाइसारन घास के मैदान में अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले ने न केवल कश्मीर घाटी के पर्यटन को झटका दिया, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ होने का संदेह जताते हुए भारत ने राजनयिक, आर्थिक और सैन्य मोर्चों पर कठोर कार्रवाई की।
भारत ने तत्काल प्रभाव से 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया, जिससे पाकिस्तान में जल आपूर्ति पर संकट के बादल मंडराने लगे। अटारी-वाघा बॉर्डर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर व्यापार और लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया, और SAARC वीजा छूट योजना के तहत जारी सभी वीजा रद्द कर दिए गए। दोनों देशों ने अपने दूतावासों में कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया। भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित घोषित कर एक सप्ताह में देश छोड़ने को कहा।
सुरक्षा के लिहाज से, भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। दो आतंकियों को ढेर किया गया, और तीन संदिग्धों—आसिफ अहमद, सुलेमान खान, और अबू हुरैरा—के स्केच सार्वजनिक किए गए।
गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में आपात बैठक बुलाकर सीमा पर चौकसी और खुफिया तंत्र को मजबूत करने के निर्देश दिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने दिल्ली में स्थिति की समीक्षा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर स्वदेश लौटते समय पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं किया, जो भारत के सख्त रवैये का स्पष्ट संदेश था।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया। उन्होंने एक स्थानीय टीवी चैनल पर कहा, “यह हमला भारत का आंतरिक मामला है। कश्मीर से लेकर मणिपुर और नक्सल प्रभावित इलाकों तक, भारत में कई जगहों पर स्थानीय असंतोष है। इसे पाकिस्तान से जोड़ना गलत है।” आसिफ ने उल्टा भारत पर बलूचिस्तान में अशांति फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का शिकार है, न कि प्रायोजक।
भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रारंभिक जांच में विदेशी आतंकियों की मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिले हैं। सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने सरकार के कदमों का समर्थन किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जांच में हमले का दायरा और बड़ा पाया गया, तो भारत 2016 के उरी या 2019 के पुलवामा हमले की तरह सर्जिकल स्ट्राइक या हवाई हमले जैसे कदम उठा सकता है। भारत का यह रुख आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूत करता है, जिसे वैश्विक समुदाय भी गौर से देख रहा है।

Author: Intelligent Guru
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