- पहलगाम आतंकी हमला – संदिग्धों की पहचान और स्केच जारी
जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में 26 से अधिक लोगों की जान गई, जिसमें पर्यटक, स्थानीय नागरिक और एक नौसेना अधिकारी शामिल थे। सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है और अब तक चार आतंकियों की पहचान की जा चुकी है, जिसमें दो स्थानीय और दो पाकिस्तानी आतंकी शामिल हैं। इसके साथ ही, तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच भी जारी किए गए हैं, ताकि उनकी तलाश में तेजी लाई जा सके।
सूत्रों के अनुसार, यह हमला बैसारन घाटी के ऊपरी इलाके में हुआ, जहां आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावरों ने पहले लोगों से उनका नाम और धर्म पूछा, फिर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी मनीष रंजन शहीद हो गए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली है।
सुरक्षा बलों ने बैसारन के जंगलों में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। भारतीय सेना की विक्टर फोर्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप और सीआरपीएफ संयुक्त रूप से आतंकियों की तलाश में जुटी हैं। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का हाथ है, जो कश्मीर में पर्यटन को नुकसान पहुंचाने और अशांति फैलाने की साजिश रच रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने स्थानीय लोगों के सहयोग से संदिग्धों के स्केच तैयार किए हैं। इन स्केच में आतंकियों का हुलिया स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। जांच एजेंसियों ने चश्मदीदों के बयानों के आधार पर तीन आतंकियों के नाम – आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा – की भी पहचान की है। चौथे आतंकी की जानकारी जुटाने के लिए अभियान जारी है।
केंद्र सरकार ने इस हमले को गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटते ही उच्च स्तरीय बैठक की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंचे और उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और सुरक्षा अधिकारियों के साथ स्थिति का जायजा लिया। सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये और घायलों के लिए 2 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है।
स्थानीय लोगों में इस हमले को लेकर गुस्सा और दुख दोनों देखा जा रहा है। कुपवाड़ा और अन्य इलाकों में कैंडल मार्च निकाले गए। कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान है, और इस हमले ने स्थानीय लोगों को चिंता में डाल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकियों का मकसद कश्मीर के पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाना और शांति प्रक्रिया को बाधित करना है।
सुरक्षा एजेंसियां अब इस बात की जांच कर रही हैं कि आतंकी जंगल के रास्ते कैसे घुसे और क्या उन्हें स्थानीय स्तर पर किसी तरह का समर्थन मिला। साथ ही, सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए अतिरिक्त सैन्य बल तैनात किए गए हैं। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।

Author: Intelligent Guru
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