- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में बच्चों से मौसमी फल खाने तथा जंक फूड और तैलीय भोजन से बचने का आग्रह किया। श्री मोदी ने कार्यक्रम के 8वें संस्करण में छात्रों से पोषण और स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से बातचीत की।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में बच्चों से मौसमी फल खाने तथा जंक फूड और तैलीय भोजन से बचने का आग्रह किया। श्री मोदी ने कार्यक्रम के 8वें संस्करण में छात्रों से पोषण और स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से बातचीत की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष’ घोषित किया है और भारत के प्रस्ताव पर इसे दुनिया भर में प्रचारित किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में मोटे अनाज को सुपरफूड के रूप में जाना जाता है। हमारी फसलें और फल जैसी अधिकांश चीजें देश की विरासत से जुड़ी हुई हैं। श्री मोदी ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में हर नई फसल या मौसम भगवान को समर्पित होते हैं और देशभर में त्यौहार के रूप में मनाए जाते हैं।
मोदी ने मानव शरीर के लिए सूर्य के प्रकाश के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने बच्चों को सुबह कुछ मिनट के लिए सूरज की रोशनी में रहने की आदत डालने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने दबाव पर काबू पाने के लिए बच्चों को सूर्योदय के तुरंत बाद पेड़ के नीचे खड़े होकर गहरी सांस लेने के लिए भी कहा। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि समाज ने यह विचार बना लिया है कि 10वीं या 12वीं जैसी स्कूली परीक्षाओं में अच्छे अंक न लाना, किसी छात्र का जीवन बर्बाद कर देता है। श्री मोदी ने बच्चों को केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें दबाव से उबरने में मदद मिले।
एक छात्र द्वारा प्रभावी नेतृत्व के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि बाहरी दिखावट किसी नेता को परिभाषित नहीं करती है, बल्कि एक नेता वह होता है जो दूसरों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करके नेतृत्व करता है। उन्होंने कहा कि नेतृत्व थोपा नहीं जाता, बल्कि आसपास के लोगों द्वारा स्वीकार किया जाता है।
पढ़ाई के साथ शौक को संतुलित करने के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र रोबोट नहीं हैं और उन्होंने समग्र विकास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लिखने की आदत विकसित करने के महत्व पर कहा कि जो लोग लिखने की आदत विकसित करते हैं, वे अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकते हैं।
एक छात्र द्वारा समय प्रबंधन के बारे में पूछे जाने पर श्री मोदी ने बताया कि हर किसी के पास दिन में 24 घंटे होते हैं, और कुछ लोग बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं जबकि अन्य को लगता है कि उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ। उन्होंने समय प्रबंधन के महत्व पर कहा कि बहुत से लोगों को यह समझ ही नहीं है कि अपने समय का प्रभावी ढंग से सदुपयोग कैसे किया जाए।
अपनी पढ़ाई का प्रबंधन करते हुए चिंता और अवसाद से निपटने के विषय पर श्री मोदी ने कहा कि अवसाद की समस्या, अक्सर परिवार से अलग होने और धीरे-धीरे सामाजिक मेल-जोल से दूर होने से शुरू होती है। उन्होंने आंतरिक दुविधाओं को बढ़ने से रोकने के लिए उन्हें खुलकर व्यक्त करने के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने पारम्परिक पारिवारिक संरचना पर प्रकाश डाला, जहां परिवार के सदस्यों के साथ खुला वार्तालाप, दबाव मुक्त करने वाले वाल्व के रूप में कार्य करता है।
मोदी ने बच्चों पर कुछ खास करियर चुनने के लिए माता-पिता के दबाव की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि माता-पिता की अपेक्षाएँ, अक्सर अपने बच्चों की दूसरों से तुलना करने से उत्पन्न होती हैं, जिससे उनके अहंकार और सामाजिक स्थिति को ठेस पहुँचती है। उन्होंने माता-पिता को सलाह दी कि वे अपने बच्चों को हर जगह मॉडल के रूप में पेश न करें, बल्कि उनकी खूबियों से प्यार कर उन्हें स्वीकारें।
