- मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से निकलती हैं ये प्रमुख नदियां, जानें इनका महत्
इंटेलिजेंट गुरु न्यूज़ डेस्क, भोपाल, 9 मई 2025
मध्य प्रदेश, जिसे भारत का हृदय स्थल कहा जाता है, न केवल अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता है, बल्कि यह देश की कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल भी है। विशेष रूप से, राज्य के सीमावर्ती जिले जैसे बेतूल, धार, झाबुआ, बुरहानपुर, और बालाघाट उन नदियों का स्रोत हैं, जो मध्य प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के लिए जीवन रेखा का काम करती हैं। इन नदियों में ताप्ती, माही, और वैनगंगा प्रमुख हैं, जो पश्चिमी और दक्षिणी भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं।
ताप्ती नदी, जिसे तपती के नाम से भी जाना जाता है, मध्य प्रदेश के बेतूल जिले के मुलताई के पास सतपुड़ा पर्वतमाला से निकलती है। यह 724 किलोमीटर की यात्रा तय करते हुए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर अरब सागर में खंभात की खाड़ी में मिलती है। ताप्ती नदी का बेसिन क्षेत्र 65,145 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो खेती और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। बेतूल और बुरहानपुर जैसे सीमावर्ती जिलों में यह नदी स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक और सामाजिक जीवन का आधार है।
इसी तरह, माही नदी मध्य प्रदेश के धार और झाबुआ जिलों से शुरू होती है। यह नदी 580 किलोमीटर की दूरी तय कर गुजरात के रास्ते अरब सागर में मिलती है। माही नदी का बेसिन धार, झाबुआ और गुजरात के कुछ हिस्सों में फैला है, और यह क्षेत्र की सिंचाई और जल आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कदाना और वानखोरी जैसे बांध इस नदी पर बनाए गए हैं, जो बिजली उत्पादन और खेती को समर्थन देते हैं।
वैनगंगा नदी, जो गोदावरी नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के महादेव पहाड़ियों से निकलती है। यह नदी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई जिलों से होकर बहती है और गोदावरी नदी में मिलती है। वैनगंगा का जल विशेष रूप से बालाघाट और आसपास के क्षेत्रों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, पेंच नदी, जो वैनगंगा की सहायक नदी है, छिंदवाड़ा जिले से निकलती है और पेंच नेशनल पार्क को दो हिस्सों में बांटती है।
ये नदियां न केवल मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाती हैं, बल्कि इनका जल पड़ोसी राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के लिए भी महत्वपूर्ण है। हालांकि, अवैध खनन और प्रदूषण जैसी समस्याएं इन नदियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन नदियों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि ये आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवनदायिनी बनी रहें।
