- रायगढ़ में जंगली हाथी का कहर: दो महिलाओं की मौत, एक ग्रामीण घायल, वन विभाग की कार्रवाई शुरू
रायगढ़, 12 मई 2025: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल के लैलूंगा रेंज में शनिवार रात एक जंगली हाथी ने आतंक मचाते हुए ग्राम गेमकेला में दो महिलाओं को कुचलकर मार डाला। इस हमले में एक अन्य ग्रामीण भी गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना ने पूरे गांव में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, शनिवार रात करीब 11:30 बजे भोजन और पानी की तलाश में जंगल से निकला एक जंगली हाथी गेमकेला गांव में घुस आया। गर्मी के कारण घर के बाहर सो रही सुनीता लोहरा (45) पर हाथी ने अचानक हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल सुनीता को परिजन तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद, उसी हाथी ने गांव के भादरापारा इलाके में सुशीला यादव (30) पर हमला किया, जिसकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना में सुशीला के पति घसिया राम (35) भी घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
लैलूंगा रेंज के एसडीओ एमएल सिदार ने बताया कि हाथी जशपुर जिले की ओर से आया था। वन विभाग ने पहले ही गांव में मुनादी कराकर ग्रामीणों को घर के बाहर न सोने और सतर्क रहने की चेतावनी दी थी, लेकिन लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, और मृतकों के परिजनों को तत्काल 25-25 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई। प्रशासन ने प्रत्येक मृतक के परिवार को 6 लाख रुपये के मुआवजे का भी ऐलान किया है।
रायगढ़ जिला, विशेष रूप से धरमजयगढ़ और छाल रेंज, लंबे समय से मानव-हाथी संघर्ष का केंद्र रहा है। वन विभाग के अनुसार, जिले में 100 से अधिक हाथी विचरण कर रहे हैं, जो अक्सर गांवों में घुस आते हैं। पिछले पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में हाथी हमलों में करीब 320 लोगों की जान जा चुकी है। ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि हाथियों को जंगल में वापस भेजने और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे रात में जंगल के पास न जाएं और घर के बाहर सोने से बचें। साथ ही, हाथी मित्र दलों को सक्रिय कर क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी गई है। यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती है, जिसके समाधान के लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है।
